Saturday, May 16, 2020

माहौल भोर का....

#माहौल_भोर_का....

इकटक नजर,
और माहौल भोर का....
दिमागी शान्ती,
न टंटा किसी शोर का....
देखता हूं जहां तक,
सोच ही दिखती है,
अब ये वक्त मेरा है,
न किसी और का....
सागर गहरा है,
बहुत खुदी का,
न पता किसी ओर-छोर का....
खुद को सम्हालने की इस स्तिथी में,
झटका न लगे बस जोर का.....
बनाये रखो दूरी कुछ,
पर मन से जुड़े रहो,
जैसे रिश्ता हो,
पतंग और डोर का.....
है हिदायत तो जिन्दगी है,
है शिकायत तो सुधारगी है,
बस मानते रहो,
बढ़ते रहो,
न लाओ उर में कठोरता....
बीत जायेगा,
समय ये भी हौले हौले,
बस धैर्य रख,
और बढ़ता चल,
बचाव की चादर ओढ़ता....
देख गौर से,
बहुत कुछ सीखाता है,
ये माहौल भोर का......
स्वरचित
सुमित सिंह पवार
उ०प्र०पु०

No comments:

Post a Comment