Tuesday, April 14, 2020

और_कैसे_समझायें_तुम्हें_भगवान

#और_कैसे_समझायें_तुम्हें_भगवान...

डण्डा,आले सब सम्हालें हैं श्रीमान्,
देश को बना चुके अपनी आन,
कर रहे हैं उत्कृष्ट प्रदर्शन संग जी-जान,
अब तो व्याकुलता को समझों प्यारे
और कैसे समझायें तुम्हें,भगवान.....

इलाज करते बिना किसी भेद-भाव,
खडे़ रहते तुम्हारे लिये दिन-रात,
मेहनत से लाना चाहते जो एक स्वस्थ प्रभात,
क्यों दिक्कतों को उनकी बढ़ाते हो, नादान
अब तो व्याकुलता को समझों प्यारे
और कैसे समझायें तुम्हें,भगवान.....

चौराहों को जो घेरे निस्वार्थ खड़े हैं,
निरन्तर गली-कूचों में गस्त लगाये ह
पड़े हैं,
आपके लिये, आपको छुपाये हुयें हैं,
कुछ तो समझ, किस तरफ है समय का रूझान,
अब तो व्याकुलता को समझों प्यारे
और कैसे समझायें तुम्हें,भगवान.....

सफाई आपकी लगातार जो कर रहें हैं,
फर्ज के लिये, जो जान की परवाह नहीं कर रहें हैं,
देश की जो असली सेवा कर रहें हैं,
उनकी सेवा को मत कर बेजान,
अब तो व्याकुलता को समझों प्यारे
और कैसे समझायें तुम्हें,भगवान.....

बैंक जो सुविधा में आपकी खुली हुयी हैं,
लेखा-झोखा जो आपका सम्हाले हुयी हैं,
अर्थव्यवस्था को जो सीने से लगायी हुयी हैं,
करो उनके परित्याग का भी सम्मान,
अब तो व्याकुलता को समझों प्यारे
और कैसे समझायें तुम्हें,भगवान.....

कर लेना मनकी, आज बस घर में रुक लो,
इच्छा कर लेना सब पूरी, अभी मानसिक रूप से जुड़ लो,
सफर में और भी मजा आयेगा, बस ये युद्ध पूरे मन से लड़ लो,
देखना फिर भारत की गौरवमयी मुस्कान,
अब तो व्याकुलता को समझों प्यारे
और कैसे समझायें तुम्हें,भगवान.....
 स्वरचित
निजी विचार
सुमित सिंह पवार
उ०प्र०पु०
चित्र संकलन- whatsup